🔥 भारत के रामसर स्थल (Ramsar Sites) से जुड़ी अहम जानकारी दी गई है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
🌿 रामसर स्थल (Ramsar Sites) क्या हैं?
▫️रामसर स्थल उन आर्द्रभूमियों (Wetlands) को कहा जाता है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया गया है।
▫️यह नाम 1971 में ईरान के शहर “रामसर” में हुई अंतर्राष्ट्रीय संधि से जुड़ा है।
▫️इस संधि का उद्देश्य आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका सतत उपयोग करना है।
आर्द्रभूमि पर्यावरणीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि वे
जैव विविधता (Biodiversity) को संजोती हैं,
जलवायु संतुलन में मदद करती हैं,
भूजल को recharge करती हैं,
बाढ़ को नियंत्रित करती हैं,
लाखों लोगों की आजीविका (मत्स्य पालन, खेती, पर्यटन) का आधार बनती हैं।
📌 बिहार से जुड़े नए रामसर स्थल
भारत ने हाल ही में बिहार से 2 नए रामसर स्थल जोड़े हैं –
▪️गोकुल जलाशय, बक्सर ज़िला
क्षेत्रफल: 448 हेक्टेयर
यह एक प्रमुख आर्द्रभूमि है, जो जैव विविधता और पक्षियों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
▪️उदयपुर झील, पश्चिम चंपारण ज़िला
क्षेत्रफल: 319 हेक्टेयर
यह झील भी पक्षियों और जलीय जीवों के संरक्षण का बड़ा केंद्र है।
👉 इन दोनों को शामिल करने के बाद अब बिहार में भी रामसर स्थलों की संख्या बढ़ गई है।
📊 भारत में कुल रामसर स्थल (2025 तक)
भारत में अब 93 रामसर स्थल हैं।
ये स्थल कुल 13,60,719 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
🌎 महत्व
भारत ने इन स्थलों को मान्यता दिलाकर यह दिखाया है कि वह:
आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र (Wetland Ecosystem) को बचाने,
जैव विविधता को संरक्षित करने,
जलवायु अनुकूलन (Climate Adaptation) को बढ़ाने,
और लाखों लोगों की सतत आजीविका (Sustainable Livelihood) सुनिश्चित करने के लिए गंभीर और प्रतिबद्ध है।
🔸 संक्षेप में:
भारत ने बिहार के गोकुल जलाशय (बक्सर) और उदयपुर झील (प. चंपारण) को रामसर स्थल घोषित किया है। इससे देश में कुल रामसर स्थलों की संख्या 93 हो गई है। यह कदम भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत बनाता है।