*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 15 अगस्त 2025*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2082*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - सप्तमी रात्रि 11:49 तक तत्पश्चात् अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 07:36 तक, तत्पश्चात् भरणी प्रातः 06:06 अगस्त 16 तक, तत्पश्चात् कृत्तिका*
*⛅योग - गण्ड सुबह 10:17 तत्पश्चात् वृद्धि*
*⛅राहुकाल - सुबह 11:07 से दोपहर 12:44 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅सूर्योदय - 06:16*
*⛅सूर्यास्त - 07:12 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से प्रातः 05:32 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:18 से दोपहर 01:10*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 अगस्त 16 से रात्रि 01:06 अगस्त 16 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)*
*⛅️व्रत पर्व विवरण - स्वतंत्रता दिवस, शीतला सातम, पतेती, आद्याकाली जयंती, श्री कृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त), सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 06:16 से प्रातः 07:36 तक)*
*⛅️विशेष - सप्तमी को ताड़ फल खाने से रोग बढ़ता है व शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)*
*🔹सायटिका🔹*
*🔸सायटिका या गृध्रसी नसों में होनेवाला ऐसा दर्द है जिसमें मरीज को सबसे पहले कूल्हे में दर्द होता हैं और फिर धीरे-धीरे यह दर्द नसों से होते हुए दोनों पैरों में बढ़ता है । इससे उठने – बैठने व चलने – फिरने में दिक्कत होती है । यह कोई रोग नहीं है बल्कि रीढ़ से संबंधित कुछ रोगों का लक्षण हो सकता है । कभी-कभी सगर्भावस्था के कारण भी दर्द शुरू हो सकता है ।*
*🔸अधिक मेहनत करने या भारी वजन उठाने, अनुचित जीवनशैली व खान-पान, उठने-बैठने की गलत मुद्रा एवं रुखा, शीतल व आवश्यकता से कम मात्रा में आहार, अति संसार-व्यवहार, अधिक व्यायाम, चिंतित रहना, मल-मूत्र आदि के वेगों को रोकना, शरीर में कच्चा रस बनना आदि कारणों से भी यह दर्द हो सकता है ।*
*🔹कैसे पायें सायटिका से राहत ?🔹*
*🔸अधिकांश मामलों में कमर की गद्दी के अपने स्थान से खिसकने के कारण सायटिका का दर्द होना पाया जाता है । इसमें चिकित्सक की सलाह के अनुसार १५ दिनों से २ महीनों तक सिर्फ थोडा विश्राम करने और हलकी कसरत एवं योगासन जैसे की मकरासन, भुजंगासन, वज्रासन आदि का सहारा लेने से काफी लोगों को फायदा मिल जाता है ।*
*🔹सायटिका में लाभदायी अन्य प्रयोग🔹*
*🔹संत श्री आशारामजी आश्रमों व समिति के सेवाकेन्द्रों पर ऐसी कुछ औषधियाँ उपलब्ध हैं जो सायटिका में उत्तम लाभ देनेवाली हैं :*
*१] अश्वगंधा चूर्ण व टेबलेट : २ से ४ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण या २ – ४ अश्वगंधा टेबलेट सुबह खाली पेट दूध के साथ लें ।*
*२] वज्र रसायन टेबलेट : आधी से एक गोली देशी गाय के दूध, घी अथवा शुद्ध शहद के साथ सुबह खाली पेट लें ।*
*३] स्पेशल मालिश तेल : इससे दिन में १ – २ बार हलके हाथों से मालिश करके गर्म कपड़े से सिंकाई करें ।*
*४] संधिशूलहर योग चूर्ण : २ चम्मच चूर्ण रात को १ गिलास पानी में भिगों दें । सुबह इसे उबालें । आधा पानी शेष रहने पर छान के पियें ।*
*🔸 अनुभूत घरेलू प्रयोग : पारिजात के १० – १५ पत्ते ३०० मि.ली. पानी में उबालें । २०० मि.ली. पानी शेष रहने पर छानें और २५ – ५० मि.ग्राम केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें । १०० मि.ली. सुबह – शाम पियें । १५ दिन तक पीने से सायटिका जड़ से चला जाता है । स्लिप्ड डिस्क में भी यह प्रयोग रामबाण उपाय है । (वसंत ऋतु में पारिजात के पत्ते गुणहीन होते हैं । अत: यह प्रयोग वसंत ऋतु में लाभ नहीं करता । 2023 में वसंत ऋतु 19 फरवरी से 20 अप्रैल तक है ।)*
*वैद्कीय सलाहनुसार उचित आहार-विहार, पंचकर्म-चित्किसा, आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आदि से संतोषकारक परिणाम मिलते हैं ।*
*🔹सावधानियाँ : १] वायुवर्धक पदार्थ जैसे – आलू, मटर, चना, अरहर की दाल, बासी भोजन, अति ठंडा पानी आदि से तथा अति उपवास से बचें ।*
*२] पेट में कब्ज, गैस आदि न होने दें एवं प्रसन्न रहें ।*
*३] कमोड शौचालय का प्रयोग करें, ऊँची एडी की चप्पल न पहनें, अधिक दर्द होने पर शरीर को आराम दें एवं मुलायम गद्दे पर न सोयें ।*
*- 📖 ऋषि प्रसाद – जनवरी २०१८ से*